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वैरिकोज वेन्स | Varicose Veins Causes in Hindi

वैरिकोज वेन्स | Varicose Veins Causes in Hindi

वैरिकोज वेन्स क्या है | What is Varicose Veins?

सामान्य रूप से देखें तो वैरिकोज वेन्स पैरों की नसों में सूजन को कहते हैं लेकिन असल में ये एक खतरनाक बीमारी है। वैरिकोज वेन्स को वैरिकोसेस और वैरिकोसिटिज भी कहते हैं। इस रोग में पैरों की नसें फैली हुई, बढ़ी हुई और फूली हुई नजर आती हैं। कई बार तो इन नसों में इतनी सूजन आ जाती है कि ये पैरों से बाहर उभर आती हैं।

वैरिकोज वेन्स में अमूमन नसों में बहने वाले ब्लड का रंग बदला दिखाई देता है। इस दौरान ये गहरी नीली, बैंगनी और लाल रंग की नजर आ सकती हैं। वैरिकोज वेन्स में पैरों में खूब दर्द होता है। युवावस्था के समय या इसके बाद लगभग 25 प्रतिशत लोगों को ये समस्या आमतौर पर होती है। वैरिकोज वेन्स की समस्या पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को प्रभावित करती है।

जब हाथ की नसे (शिराएं) फूल जाती हैं तो इसमें दर्द उत्पन्न होता है। यह शिराओं में अवरोध होने से होता है। इसको शिरो, ब्रह्म, सुषुम्ना नाड़ी, चक्रवात वाहिनी, स्नायु वात बस्ती और वात कुंडलिका आदि नामों से जाना जाता है।

वैरिकोज वेन्स अर्थात पैरों की पिण्ड़लियों के पीछे नसो का गुच्छा बन जाना जो देखने में तो बहुत खराब लगता ही है साथ ही साथ रोगी को पैरों में खिंचाव और दर्द की भी अनूभूति देता है। बहुत से मित्र हमसे इस समस्या के स्थायी हल के लिये पूछते हैं इस पोस्ट में, हम आप सभी के लाभार्थ एक बहुत ही कारगर उपाय बता रहे हैं जो बहुत से लोगो ने प्रयोग किया है और लाभ बताया है।

हाँलाकि यह रोग कोई विशेष समस्या तो नही पैदा करता है किंतु कई बार कुछ अन्य छोटी-मोटी समस्याओं का कारण बन सकता है। ऑपरेशन द्वारा इसका समाधान किया जा सकता है किंतु जो मित्र ऑपरेशन नही करवाना चाहते उनके लिये प्रस्तुत है नीचे चमत्कारी घरेलू प्रयोग।

कैसे होता है वैरिकोज वेन्स | How You Get Varicose Veins

वैरिकोज वेन्स तब होता है जब नसें ठीक से काम नहीं कर पाती हैं। पैरों से ब्लड को नीचे से ऊपर हार्ट तक ले जाने के लिए पैरों की नसों में वाल्‍व होते हैं, इन्हीं की सहायता से ब्लड ग्रेविटेशन के बावजूद हार्ट तक पहुंच पाता है।

लेकिन अगर ये वाल्व खराब हो जाए या पैरों में कोई समस्या आ जाए, तो ब्लड ठीक से ऊपर चढ़ नहीं पाता और पैरों में ही जमने लगता है। ब्लड के जमने की वजह से पैरों की नसें कमजोर हो जाती हैं और फैलने लगती हैं। कभी-कभी नसें अपनी जगह से हट जाती हैं और मुड़ने लगती हैं। इसी समस्या को वैरिकोज वेन्स कहते हैं।

क्यों दिखती हैं नसें नीली | Why do Veins Look Blue

दरअसल हमारे ब्लड में हीमोग्लोबिन नाम का तत्व पाया जाता है, जिसके कारण इसका रंग लाल दिखता है। हीमोग्लोबिन की विशेषता ये है कि ये कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन दोनों ही इसके साथ अच्छे से घुल-मिल जाते हैं। अगर हमारे टिशूज में कार्बन डाइऑक्साइड आ जाए, तो ये हीमोग्लोबिन के साथ रिएक्शन करके कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बना लेता है।

कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन वाले खून को ही हम खराब खून या अशुद्ध खून कहते हैं। इस अशुद्ध खून का रंग नीला या बैंगनी हो जाता है। हमारी नसों के ऊपर की स्किन बेहद पतली होती है इसी लिए नसें ऊपर से दिखाई देती हैं। अगर इन्हीं नसों में ये अशुद्ध खून भर जाता है, तो हमें बाहर से नसें गहरे नीले रंग की दिखने लगती हैं।

वेरिकोज वेन के होने के मुख्य कारण व लक्षण | Main causes and symptoms of Varicose Vein:

  • शारीरिक श्रम की कमी,
  • अचानक से शरीर में होने वाले हार्मोन परिवर्त,
  • उम्र का बढ़ना,
  • आनुवांशिक

वैरिकोज वेन्स सबसे ज्यादा पैरों को प्रभावित करते हैं। नसों का त्वचा से बाहर उभर आना नसों में सूजन आना नसों में तेज दर्द होना नसों का रंग नीला या बैंगनी हो जाना नसों का रंग अचानक से बदलने लगना नसों का फैलने लगना नसों में छाले जैसा उभार आ जाना नसें में दबाव महसूस होना या ज्यादा ब्लड फ्लो होने लगना कई बार रक्त के दबाव के कारण नसें फट भी जाती हैं और खून निकलने लगता है।

किन कारणों से होता है वैरिकोज वेन्स इस रोग की सबसे बड़ी वजह जीवनशैली और अनहेल्दी खान-पान है। कई बार प्रेगनेंसी की वजह से भी वैरिकोज वेन्स हो जाता है। ऐसी स्थिति में तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और उनसे राय लेनी चाहिए क्योंकि इससे आपके बच्चे को भी खतरा हो सकता है।

वैरिकोज वेन्स का खतरा पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को होता है क्योंकि इसकी एक वजह मासिक धर्म भी है। इसके अलावा ज्यादा देर तक खड़े रहने से, बढ़ती उम्र के कारण, और कई बार अनुवांशिक कारणों से भी वैरिकोज वेन्स हो सकता है। मोटापा भी इस रोग की एक बड़ी वजह है।

वेरिकोज वेन के लिए घरेलू उपाय | Home Remedy for Varicose Vein

मेथी:

5 से 10 ग्राम मेथी के बीज सुबह-शाम गुड़ के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है और हाथ की नड़ी (शिरा) अपने जगह पर ठीक रहती है। रोगी की शिराओं को फूलने से रोकने के लिए मेथी को पीसकर उसका लेप शिराओं पर लगाकर उसको कपड़े से बांध दें।

गोरवा (एकसिरा):

गोरवा (एकसिरा) का फल कमर में बांधने से शिरास्फिति में लाभ मिलता है। इसका प्रयोग रोजाना करने से शिरा का फूलना बन्द हो जाता है।

लाजवन्ती:

लाजवन्ती को पीसकर बांधने से शिरास्फीति के रोग में लाभ मिलता है।

कटकरंज:

कटकरंज के बीजों का चूर्ण एरण्ड के पत्ते पर डालकर शिरास्फिति पर बांधने से शिरा के रोगी का रोग दूर हो जाता है।

वेरिकोज वेन के लिए चमत्कारी पेस्ट:

आवश्यक सामग्री:

  • 1/2 कप एलोवेरा का गूदा
  • 1/2 कप कटी हुयी गाजर
  • 10 ml सेब का सिरका

बनाने विधी:

मिक्सी में उपरोक्त तीनों सामानों को एकसाथ ड़ालकर अच्छे से पीसकर पेस्ट तैयार कर लें।

प्रयोग विधी:

वेरीकोज वेन वाले हिस्से पर इस पेस्ट को फैलाकर, सूती कपड़े से बहुत ही हल्की पट्टी बाँध दें । अब एक सीधी जगह पर पीठ के बल लेट जायें और पैरों को शरीर के तल से लगभग एक-सवा फुट ऊपर उठाकर किसी सहारे से टिका लें। इस अवस्था में लगभग तीस मिनट तक लेटे रहें। यह प्रयोग रोज तीन बार करना है।

सेब का सिरका:

यह वेरीकोज नसों का बेहतरीन इलाज है। यह शरीर को प्राकृतिक रूप से साफ़ करता है और रक्त के प्रवाह और संचार में सहायता करता है। जब आपका रक्त स्वाभाविक रूप से बहता है तो धमनियों का भारीपन और सूजन काफी हद तक कम हो जाता है।

शुद्ध सेब के सिरके को अपनी नसों के ऊपर की त्वचा पर लगाएं और अच्छे से मालिश करें। इसका प्रयोग रोज़ सोने से पहले और उठने के बाद करें। इस विधि का प्रयोग कुछ महीनों तक करें और अपनी धमनियों का आकार कम करें।

आप 2 चम्मच सेब के सिरके का मिश्रण एक गिलास पानी में करके इसका सेवन भी कर सकते हैं। अच्छे परिणामों के लिए दिन में 2 बार इसका सेवन करें और त्वचा में निखार प्राप्त करें।

कायेन पेपर:

यह धमनियों के लिए काफी जादुई उपचार साबित हो सकता है। यह विटामिन सी और बायोफ्लैवोनॉइड्स से भरपूर होते हैं, जो रक्त के संचार में वृद्धि करते हैं और धमनियों में सूजन को ठीक करते हैं।

1 चम्मच मिर्च पाउडर को 1 कप गर्म पानी में मिश्रित करें। इसे अच्छे से हिलाएं। 1 महीने तक इसका सेवन दिन में 3 बार करें।

जैतून का तेल:

नसों का उपचार करने के लिए आपका रक्त संचार अच्छा होना चाहिए। अगर आप रोज़ाना तेल को अपने नसों पर लगाएंगे तो इससे धीरे धीरे दर्द और सूजन कम होगा।

बराबर मात्रा में जैतून का तेल और विटामिन इ का तेल मिश्रित करें और इसे हल्का गर्म कर लें। इससे कुछ मिनटों तक अपने नसों पर मालिश करें। यह पद्दति 2 महीने तक हर दिन 2 बार दोहराएं।

आप इसमें साइप्रेस के तेल की 4 बूँदें और 2 चम्मच गर्म जैतून का तेल मिश्रित कर सकते हैं। इसे अच्छे से मिलाएं और अपने शरीर को आराम दें।

लहसुन:

लहसुन सूजन रोकने की सबसे बेहतरीन दवाइयों में से एक के रूप में जाना जाता है। यह वेरिकोज नसों की समस्या को भी हल करता है। .इसके अलावा यह रक्त की धमनियों में मौजूद विषैले पदार्थ निकालता है और रक्त के संचार में वृद्धि करता है।

लहसुन के 6 फाहे काटें और इन्हें एक साफ़ कांच के पात्र में डाल दें। अब 3 ताज़े टुकड़ों से संतरे का अंश लें और इसे भी इस पात्र में डालें। इसमें 2 चम्मच जैतून का तेल मिश्रित करें। अब इस मिश्रण को 12 घंटों के लिए छोड़ दें। अब इस पात्र को हिलाएं और इस मिश्रण की कुछ बूँदें अपनी उँगलियों पर डालें।

अपनी प्रभावित नसों पर इस मिश्रण से गोलाकार मुद्रा में करीब 15 मिनट तक मालिश करें। अब इस प्रभावित भाग को रुई से ढक लें और रातभर के लिए छोड़ दें। जब तक आप ठीक नहीं हो जाते, तब तक इस विधि का प्रयोग रोज़ाना करें। अपने भोजन में ताज़े लहसुन को सारे जीवन के लिए शामिल करें।

अजवायन:

यह उत्पाद विटामिन सी से भरपूर होता है और कोलेजन का उत्पादन भी सुनिश्चित करता है। यह कोशिकाओं की मरम्मत और उनके पुनर्विकास में भी आपकी मदद करता है। यह केपिलरीज़ को मज़बूत बनाता है औए वेरीकोज नसों के लक्षणों को दूर करता है।

मुट्ठीभर कटी अजवाइन को 1 कप पानी में उबालें। इसे आंच पर 5 मिनट रहने दें। अब आंच से हटाकर इसे ढक दें। जब यह हल्का सा गर्म रह जाए तो इसे छान लें। इसमें 1 बूँद गुलाब और गेंदे के तेल की बूँदें मिश्रित करें। इसे फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दें। इसे निकालकर इसमें रुई का कपड़ा डुबोएं। इसे प्रभावित भाग पर लगाएं और तब तक दोहराएं जब तक आपकी समस्या का समाधान ना हो जाए। कच्चा अजवाइन खाने से भी आपको काफी लाभ होगा।

👌🏻👌🏻 पैरों की नसों का बढ़ना या मोटा होना आम बीमारी है। जिसे वैरिकोज वेन कहा जाता है। यदि इसका समय पर इलाज नहीं हुआ तो मरीज को विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं जैसे: दर्द, पैरों में सूजन, पैरों की चमड़ी का रंग काला पड़ना, रह – रह का खुजली होना।

अंत में न सूखने वाला घाव या छाला भी हो सकता है। इस बीमारी में गेंदे की फूलो की पंखुड़ियों से बना तैल बड़ा लाभदायक है। गेंदे के फूलों से निकाली हुई पंखुड़ियां 200 ग्राम इसे खरल में चटनी या लुगदी जैसा बना ले। अब 250 तील के तेल में इसे डालकर मंद आंच पर पकाए। जब पत्ती की लुगदी कड़क होकर बिखर जाए और तेल शेष रह जाए तब इसे ठंडा करके शीशी में भरकर रख लें।वेरिकोज वैन की तकलीफ में इस तेल से पैरों पर मसाज करने से अदभुत लाभ मिलता है 🙏🙏

हल्दी:

  • नियमित तौर पर हल्दी का दूध पिये रात्रि में भोजन के बाद
  • इस रोग के निवारण हेतु व्यायाम
  • रात को सोते वक्त दोनो पैर को ऊँचा रख कर सोये
  • खड़े होकर रहने की कोशिश कम करें
  • जब भी बैठे पैर को ऊँचा रखे
  • नीचे से ऊपर की ओर दोनो हाथ से नसो के खून को ऊपर की ओर लाकर छोड़े
  • सुबह शाम तलवों में सरसों तेल लगाकर गुनगुने पानी मे 10 से 15 मिंट डुबो कर रखे
  • सरसो तेल की मालिश नीचे से ऊपर की ओर करें

वेरिकोज वेन में भोजन तथा परहेज :

शिरास्फिति के रोगी को खाने में बेसन की रोटी और घी का प्रयोग करें। इससे रोगी के रोग ठीक करने में सहायता मिलती है।

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