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बायविडंग (Vaayvidang/vaividang/vavding) विभिन्न रोगों में सहायक

बायविडंग (Vaayvidang/vaividang/vavding)

वानस्पतिक नाम: Embelia ribes Burm.f. (एम्बीलिआ राइबीज) Syn-Antidesma ribes (Burm. f.) Raeuscb.

कुल : Myrsinaceae (मिर्सिनेसी)

अंग्रेज़ी नाम : Embelia (एम्बीलिया)

संस्कृत-चित्रा, जन्तुनाशन, कृमिरिपु, कृमिहर, कृमिहृत्, कीटशत्रु, कीटारि, कृमिघाती, कृमिजित्, वेल्ल, अमोघा, तण्डुल , कृमिघ्न, चित्रतण्डुल ; हिन्दी-बायविडङ्ग, बाबिरंग, भासि; उड़िया-विडंगो (Bidongo); कन्नड़-वायूबालिंगा (Vayubalinga), वायुविडङ्ग (Vayuvidang), वायबिलंग (Vaybilang); गुजराती-करकन्नाई (Karkannie), बावडीङ्ग (Bawding), वासडीङ्ग (Vasding), वायुविडंग (Vayuvidang); तमिल-वायुवलंगम (Vayulangam); तेलुगु-वायुविडंघमु (Vayuvidaghmu); बंगाली-भाई–वीररुग (Bhai-birrung), बिरंग (Birang), विडंग (Vidang); नेपाली-वायविडंग (Vayvidang), हिमालचेरी (Himalcheri); पंजाबी-बेबरुंग (Babrung), बबरंग (Babrang), वाबरंग (Vabrang); मराठी-बावडिङ्ग (Vavadinga), बायविरंग (Bayvirang), करकान्नी (Karkanni); मलयालम-विलाल (Vilal), विझल (Vijhal)।

अंग्रेजी-व्हाईट फ्लावर ऐम्बेलिया (White flower embelia); अरबी-बीरंगी-ई-काबुली (Birangi-i-kabuli); फारसी-बीरंगी-ई-काबुली (Birangi-i-kabuli)।

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बायविडंग के उपयोग – Vaividang Uses

1. दांत के दर्द में : बायबिडंग(vaividang) के फल के चूर्ण में थोड़ी सी हींग मिलाकर दांत के नीचे रखने से दांत का दर्द दूर हो जाता है।

2. पेट और आंत के कीड़ों में : 2 ग्राम बायबिडंग(vaividang) के फल के बारीक पाउडर को गुड़ के साथ मिलाकर रोज सोते समय रोगी को खिलाने से पेट के कीड़े खत्म हो जाएंगे। इसका 1 चम्मच चूर्ण दही के साथ खिलाकर 3-4 घंटे बाद 4 चम्मच एरण्ड के तेल के साथ एक कप दूध में मिलाकर खाना चाहिए। इससे कीड़े मरकर बाहर आ जायेंगे।

3. गर्भनिरोध : बायबिडंग(vaividang) के फल का पाउडर और पिप्पली का पाउडर बराबर मात्रा में मिलाकर मासिक-धर्म शुरू होने के 5 वें दिन से 20 वें दिन तक 1 चम्मच सुबह-शाम खाने से स्त्री को गर्भ नहीं ठहरता है।

4. पेट दर्द या उल्टी पर : आधा चम्मच बायबिडंग(vaividang) के फल का पाउडर छाछ के साथ सुबह-शाम रोगी को खिलाने से पेट का दर्द या उल्टी आना बंद हो जाती है।

5. बच्चों के रोगों में : छोटे बच्चों के सारे रोगों में 5-6 बायबिडंग के दानों को पीसकर शहद के साथ रोजाना खिलाने से लाभ होता है।

6. त्वचा रोगों में : बायबिडंग के फल का चूर्ण पानी में पीसकर लगाने से त्वचा रोगों में लाभ मिलता है।

7. वातरोग : आधा चम्मच बायबिडंग के फल का चूर्ण और एक चम्मच लहसुन का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम रोजाना खाने से सिर और नाड़ी की कमजोरी के वात के रोग में लाभ होता है।

8. जुकाम : बायबिडंग के फल का बारीक चूर्ण बार-बार सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है।

9. दांतों का दर्द : 10 ग्राम बायविडंग, 10 ग्राम खुरासानी अजवायन और 10 ग्राम अकरकरा को पीसकर व कपड़े में छानकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण से रोजाना मंजन करने से दांतों और मसूढ़ों का दर्द दूर हो जाता है

बायबिडंग का चूर्ण बनाकर उसमें थोडी-सी हींग मिलाकर दांतों की खोखल में भरें। इससे मसूढ़ों से पीव का निकलना बंद हो जाता है तथा दांतों का दर्द ठीक हो जाता है।

बायबिडंग और हींग को दांतों के नीचे दबाकर रखें। इससे दांतों में लगे कीड़े नष्ट हो जाते हैं तथा दांतों की खोखले से होने वाला दर्द खत्म हो जाता है।

10. दांत घिसना या किटकिटाना : दांतों को किटकिटाने वाले रोगी को लगातार 3 दिन तक सुबह-शाम 6 ग्राम बायविडंग के चूर्ण को 100 ग्राम दही में मिलाकर खिलाना चाहिए। इससे दांतों का किटकिटाना बंद हो जाता है।

11. गुदा रोग : 5 ग्राम बायबिडंग को पीसकर शहद के साथ मिलाकर रोजाना सुबह-शाम बच्चे को खिलाने से गुदा रोग ठीक हो जाता है।

12. जीभ की जलन और सूजन : छोटी पीपल, रसौत और बायबिडंग का काढ़ा बनाकर जीभ को धोने से तथा इसका चूर्ण बनाकर जीभ पर लगाने व लार बाहर निकालने से जीभ के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।

13. कष्टार्तव (मासिक धर्म का कष्ट के साथ आना) :

बायविडंग(vaividang), सोंठ, गुड़(Pure Natural Cane Jaggery Powder) को मिलाकर पानी के साथ माहवारी (मासिक-धर्म) शुरू होने के दिन से सुबह के समय नियमित रूप से देने से मासिक-धर्म का दर्द दूर हो जाता है।

6-6 ग्राम बायविडंग(vaividang), हाऊबेर, कलमीशोरा, जौखार को पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम खाने के बाद से माहवारी शुरू होने के तीन दिन पहले से खत्म होने तक देना चाहिए।

14. पथरी : 5-5 ग्राम बायबिडंग(vaividang), सेंधानमक, मिश्री, साठी का रस, जवाखार, पेठे का रस, तिल का खार, पैठ का बीज तथा गोखरू लेकर काढ़ा बना लें। इसका काढ़ा रोजाना सुबह-शाम पीने से सभी प्रकार की पथरी ठीक हो जाती है।

15. योनिकंद (योनि की गांठ) : 10 ग्राम बायविडंग(vaividang), 10 ग्राम गेरू, 10 ग्राम पीली दूब और 10 ग्राम कायफल को लगभग 500 मिलीलीटर पानी में डालकर रात को भिगोकर सुबह उबालें, जब पानी चौथाई रह जाये तब इसी पानी को ठंडा करके योनि को धो लें, इसी काढ़े में चने की दाल और आधी (चने से) शोरा मिलाकर योनि पर रूई का फोहा मिलाकर एक दिन में सुबह, दोपहर और शाम पर लगाने से योनि की गांठ ठीक हो जाती है।

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