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राजीव दीक्षित जी – Rajiv Dixit Ji

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) एक बुद्धिमान, उत्कृष्ट प्रभावशाली वक्ता एवं क्रांतिकारी, भारतीय वैज्ञानिक, प्रखर वक्ता, आजादी बचाओ आंदोलन और भारत स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक।

राजीव दीक्षित जी – Rajiv Dixit Ji का संक्षिप्त परिचय

  • राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) जन्म : 30 नवम्बर, 1967
  • जन्म स्थान/गांव : नाह गाँव, अलीगढ़, उत्तरप्रदेश, भारत
  • राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) मृत्यु : 30 नवम्बर. 2010
  • मृत्यु स्थान/गांव : भिलाई, छत्तीसगढ़, भारत
  • राष्ट्रीयता : भारतीय
  • राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) शिक्षा : एम टेक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर
  • धार्मिक मान्यता : हिन्दू
  • जीवनसाथी : अविवाहित
  • राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) के माता : मिथिलेश कुमारी
  • राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) के पिता : राधे श्याम दीक्षित

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) जीवन परिचय

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) का जन्म उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में राधेश्याम दीक्षित एवं मिथिलेश कुमारी के यहाँ 30 नवम्बर 1967 को हुआ था फिरोजाबाद से इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने प्रयागराज से बी. टेक.(B.Tech) तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से एम. टेक.(M.Tech) की उपाधि प्राप्त की।

उन्होंने कुछ समय भारत के सीएसआईआर तथा फ्रांस के टेलीकम्यूनीकेशन सेण्टर में काम भी किया ! तत्पश्चात् वे भारत के पूर्व  राष्ट्रपति डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ जुड़ गये।

इसी बीच उनकी प्रतिभा के कारण सीएसाअईआर में कुछ परियोजनाओ पर काम करने और विदेशो में शोध पत्र पढने का मौका भी मिला। वे भगतसिंह, उधमसिंह, और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों से प्रभावित रहे। बाद में जब उन्होंने गांधीजी को पढ़ा तो उनसे भी प्रभावित हुए।

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) ने 20 वर्षों में लगभग 12000 से अधिक व्याख्यान दिये(भारत में 5000 से अधिक विदेशी कम्पनियों के खिलाफ) उन्होंने स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की। उन्होंने 9 जनवरी 2009 को भारत स्वाभिमान ट्रस्ट का दायित्व सँभाला।

आज़ादी बचाओ आन्दोलन :

भारत का एक सामाजिक, आर्थिक आन्दोलन है। यह भारत विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के उपभोक्ता सामग्री के क्षेत्र में प्रवेश का विरोध करता है। इसके अलावा भारत में पाश्चात्य संस्कृति के दुष्प्रभावों के प्रति भी लोगों को सचेत करता है।

यह नई आजादी उद्घोष नामक एक पत्रिका भी निकालता है। श्री राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji), डा. बनवारी लाल शर्मा आदि इसके प्रखर वक्ता हैं। जो देश भर में भ्रमण करते हैं और विभिन्न आर्थिक-सामाजिक विषयों पर भाषण देते हैं।

इसके अतिरिक्त यह संस्था आम लोगों एवं विद्यार्थियों के साथ मिलकर बहुराष्ट्रिय कम्पनियों के विरुद्ध आन्दोलन एवं विरोध प्रदर्शन भी करती है। इसने विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियोंके विरुद्ध विभिन्न न्यायालयों में कई याचिकायें दायर की जिसमें कई में इनके पक्ष में निर्णय भी आये। पेप्सी एवं कोक का यह विशेष विरोध करते हैं।

स्थापना :

8 जनवरी 1992 को महाराष्ट्र के वर्धा नामक शहर में हुई एक बैठक से ‘आजादी बचाओ आंदोलन’ का सूत्रपात हुआ। आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार श्री बनवारी लाल शर्मा और श्री राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) इससे पहले भोपाल गैस त्रासदी की जिम्मेदार अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड के विरूद्ध लोक स्वराज अभियान चला रहे थे। आजादी अर्थात् आर्थिक व सांस्कृतिक आजादी और इसको बचाने के लिए विभिन्न गतिविधियां प्रारंभ की गईं।

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) कार्य :

सबसे प्रमुख काम जन प्रबोधन का था और इसके लिए विपुल साहित्य और आडियो विडियो कैसेट बनाए गए। विभिन्न स्थानों पर व्याख्यान, प्रशिक्षण शिविर आदि शुरू किए गए। स्थानीय स्तर पर स्वदेशी वस्तुएं मिल सकें, इसके लिए स्वदेशी भंडार खोलने के प्रयत्न प्रारंभ हुए। धीरे-धीरे आजादी बचाओ आंदोलन का काम भी बढ़ा और लोगों में ग्राह्यता भी।

आज देश के 12 प्रदेशों में 1500 तहसील स्तरीय और 300 जिलास्तरीय इकाइयां हैं। 118 गांवों को पूरी तरह स्वदेशी गांव के रूप में विकसित किया गया है जहां न केवल पेप्सी कोला, कोलगेट जैसी विदेशी कंपनियों के उत्पाद ही बिकने बंद हैं, बल्कि खेती भी देशी पद्धति से और रासायनिक खादों व संकर बीजों के बिना की जाती है।

साथ ही आंदोलन ने गुणवत्ता के लिए आई. एस.आई.(ISI) के समान अपना एक ब्रांड विकसित किया है – स्वानंद। स्वानंद अर्थात् स्व (स्वदेशी) का आनंद। आंदोलन द्वारा चलाए जा रहे स्वदेशी भंडारों को भी स्वानंद भंडार ही कहा जाता है।

प्रतिवर्ष आंदोलन द्वारा 4-5 बड़े प्रशिक्षण वर्ग लगाए जाते हैं। आजादी बचाओ आंदोलन समाचार नामक एक साप्ताहिक का भी प्रकाशन किया जाता है।

चूंकि भारत कृषि आधारित देश है, इसलिए आंदोलन ने भी कृषि को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता माना है। इसके तहत,

(1) किसानों को देशी पद्धति से खेती करने की प्रेरणा दी जाती है। रासायनिक खादों की बजाय जैविक खाद, केंचुआ और गोबर खाद आदि का उपयोग करने, खेती के साथ पशुपालन को जोड़ने पर आंदोलन विशेष जोर देता है।

(2) गांव-गांव में स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन। इसके तहत आंदोलन ने बिना सरकारी अनुदान के ही उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली और सस्ती खादी बनाने में सफलता पाई है।

(3) स्वदेशी उत्पादों का वितरण

(4) देशी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देना।

इस प्रकार आंदोलन ने जन प्रबोधन के विपुल प्रयत्न किए हैं, वहीं स्वदेशी उत्पादों के निमार्ण और वितरण हेतु भी काफी काम खड़ा किया है। स्वदेशी उत्पाद की उपलब्धता के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।

भारत स्वाभिमान आंदोलन

भारत स्वाभिमान आंदोलन योग गुरू बाबा रामदेव और राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) जी द्वारा 638365 गाँवों तक योग पहुँचाने के लक्ष्यों को लेकर स्थापित एक न्यास है। यह न्यास ५ जनवरी २००९ को दिल्ली में पंजीकृत कराया गया था।

इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार, गरीबी, भूख, अपराध, शोषण मुक्त भारत का निर्माण करना है। इस न्यास का प्रमुख उद्देश्य भारत के सोये हुए स्वाभिमान को जगाने के लिये अखिल भारतीय स्तर पर एक राष्ट्रव्यापी आन्दोलन खड़ा करना है। न्यास स्वयं को गैर राजनीतिक बताता है।

भारत स्वाभिमान स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार करने के साथ विदेशी कम्पनियों का बहिष्कार करती है। भारत स्वाभिमान न्यास में राजीव दीक्षित जी, डॉ जयदीप आर्य, राकेश कुमार व् बहिन सुमन ने स्वदेशी की अवधारणा से प्रेरित होकर संगठन की बागडोर संभाली।

बाबा रामदेव ने राजीव दीक्षित को भारत स्वाभिमान ट्रस्ट का सचिव नियुक्त किया था। जिसमे उन्होंने काले धन व स्वदेशी के आन्दोलन के साथ साथ भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए जीतोड़ मेहनत की।

उद्देश्य व कार्यप्रणाली

भारत स्वाभिमान ट्रस्ट ने देश के सभी शहरों से लेकर गाँवों तक बाबा रामदेव की योग क्रान्ति को पहुंचाया और करोड़ों लोगों को योग से जोड़ने का काम किया है। इस आन्दोलन में कई लाख लोगों को सदस्य बनाने का काम जारी है और प्रत्येक जिले में युवा, शिक्षक, चिकित्सक, किसान, श्रमिक संगठन के रूप में ट्रस्ट की 15 इकाइयाँ काम कर रही हैं।

भारत स्वाभिमान ट्रस्ट ने देश में व्यवस्था परिवर्तन में अपना योगदान दिया है। इस ट्रस्ट ने आम देशवासियों में यह प्रवृत्ति जगाने का काम किया कि वह मतदान अवश्य करें। भारत स्वाभिमान स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार करने के साथ विदेशी कम्पनियों का बहिष्कार करती है और पतंजलि के माध्यम से लोगों को एक अच्छा विकल्प भी देने की कोशिश की है।

भारत स्वाभिमान एक गैर राजनीतिक संगठन है, इस ट्रस्ट के कार्यकर्ता देश के लोगों को अपनी भारतीय संस्कृति, योग-अध्यात्म से अवगत कराने के साथ-साथ देश से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों में खुद भी अग्रणीय भूमिका निभाते हैं। जैसे की स्वच्छ भारत अभियान में भारत स्वाभिमान के लाखों कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।

लक्ष्य

न्यास का मुख्य लक्ष्य है !
(1) 100% राष्ट्रवादी सोच
(2) विदेशी कंपनियों के 100% बहिष्कार, ‘स्वदेशी को गोद लेने की
(3) देश के लोगों का 100% एकीकरण.
(4) 100% योग उन्मुख राष्ट्र शपथ

भारत स्वाभिमान आंदोलन की पांच शपथ

हम केवल देशभक्त ईमानदार, बहादुर, दूरदर्शी, और कुशल लोगों के लिए मतदान करेंगे। हम अपने आप को 100% वोट करने के साथ दूसरों को भी मतदान के लिए प्रेरित करेंगे। हम देशभक्त ईमानदार, जागरूक, संवेदनशील, बुद्धिमान और ईमानदार लोगों को एकजुट करेंगे और राष्ट्र की शक्तियों को एकजुट करने का प्रयास करेंगे। हमें भारत को दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति बनाना है।

आखिर कौन है राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji)

  1. कम से कम शब्दों में राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) का परिचय –

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) एक भारतीय वक्ता थे। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन, आजादी बचाओ आंदोलन और विभिन्न अन्य कार्यों के माध्यम से राष्ट्रीय हित के विषयों पर जागरूकता फैलाने के लिए सामाजिक आंदोलनों शुरू किये थे।

वो भारत स्वाभिमान आन्दोलन के संस्थापक और राष्ट्रीय सचिव भी रह चुके हैं। राजीव दीक्षित भारतीयता के उपदेशक थे। उन्होंने भारतीय इतिहास, संविधान में मुद्दों और आर्थिक नीतियों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए काम किया था।

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) एक भारतीय वैज्ञानिक थे और बहुत कम लोगों को पता है कि वह एपीजे अब्दुल कलाम के साथ भी काम कर चुके है। एक वैज्ञानिक होने के नाते अगर वह चाहते तो अमेरिका या ब्रिटेन में बहुत अच्छी तरह से अपने जीवन का आनंद ले सकते थे ! लेकिन उन्होने अपने जीवन का बलिदान काले धन, बहुराष्ट्रीय कंपनियों की लूट, भ्रष्टाचार, भारतीय वस्तुओं का लाभ और आयुर्वेद के लिए जागरूकता लाने के लिए दिया। उन्होने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ संघर्ष और भारतीय स्वतंत्रता की रक्षा करने में अपनी ज़िन्दगी के 20 साल लगा दिए।

  1. श्री राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) का परिचय कम से कम शब्दों में –

(1) जिसने इंडिया को भारत बनाया।
(2) जिसने अन्ना हजारे को लोकपाल बिल के बारे में बताया।
(3) जिसने कजरी की सच्चाई को सन् 2004 में ही बताया।
(4) जिस मदर टेरेसा को मोहन भागवत जी 2015 में बता रहे है कि वह कौन थी। वो राजीव जी ने सन् 1998 में ही बता दी थी।
(5) आज हम मैगी के जिन कारणों को लेकर रोना रो रहे है उसे राजीव जी ने सन् 2003 में ही बता दिया।
(6) जिसने पंडित नेहरु को मौलाना नेहरु बता दिया। और उसका पूरी तरह से फर्दाफास किया।
(7) जिसने अमेरिका में हुए 9/11 हमले को विश्व में पहली बार बताया कि वो हमला अमेरिका ने खुद ही कराया है।
(8) जिसने हमे Right to Recall और जनमत संग्रह बताया।
(9) जिसने सबसे पहले काला धन की सचाई बताकर सुप्रीम कोर्ट को भी सख्ते में ला दिया। सुप्रीम कोर्ट को मुकदमें की सच्चाई की जाँच करने में 6 महीने लग गये कि इतनी सटीक जानकारी कहाँ से आई।
(10) जिसने लाल बहादुर शास्त्री जी के मौत की सच्चाई बता दी।
(11) जो बात आज सुब्रमण्यम स्वामी जी बोल रहे है कि राहुल गांधी को ब्रिटेन की नागरिकता प्राप्त है इसे सन् 2000 में ही पूरा बता दिया था।
(12) जिसने कोर्ट में गौ–हत्या का मुकदमा लड़ा। जो आज भी सुप्रीम कोर्ट का सबसे बड़ा मुकदमा है।
(13) जिसने पुरे Bollywood को अकेले ही चैलेंज किया।
(14) जिनके मुकदमे का जज उनका कायल होकर नौकरी छोड़ दिया।
(15) इनके कारण 1000 से ज्यादा डॉक्टर ने अपनी नौकरी त्याग दी।
(16) जिनका साथ देने के लिए काग्रेस+बीजेपी में 370 सांसद खड़े हो गए थे।
(17) जिसने भारत के गुजरात को बिकने से बचाया।
(18) जिसने राजस्थान को प्यासा होने से बचाया।
(19) जिसको सुनकर Bollywood का अभिनेता धर्मेन्द्र भी कायल हो गया।
(20) जिसके व्याख्यानो से पूरा अमेरिका हमेशा डरा करता था।
(21) जिसके नाम से ब्रिटेन की संसद में बहस हो गई।
(22) जिसने चाइना के कान खड़े कर दिए।
(23) जिसने मनमोहन, कांग्रेस की पोल खोली।
(24) जिसका आज तक कोई टीवी चैनल interview तो छोड़ो एक फोटो भी टीवी पर नही दिखा सका।
(25) जिसने भारत में वन्दे मातरम् दुबारा बोलवा दिया।
(26) जिसके दिमाग में भारत के पिछले 1500 वर्ष और विश्व के सभी देशो का 500 वर्ष का इतिहास मौखिक रूप से याद था, जिसके कारण उन्हें चलता फिरता कंप्यूटर कहा जाता था।
(27) जिसने भारत की आज़ादी के लिए लड़ने वाले सभी शहीदों के बारे में अवगत कराया।

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) मृत्यु

30 नवम्बर 2010 को राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) को अचानक दिल का दौरा पड़ने के बाद पहले भिलाई के सरकारी अस्पताल ले जाया गया उसके बाद अपोलो बी०एस०आर० अस्पताल में दाखिल कराया गया।

उन्हें दिल्ली ले जाने की तैयारी की जा रही थी लेकिन इसी दौरान स्थानीय डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डाक्टरों का कहना था कि उन्होंने ऍलोपैथिक इलाज से लगातार परहेज किया। चिकित्सकों का यह भी कहना था कि दीक्षित होम्योपैथिक दवाओं के लिये अड़े हुए थे। अस्पताल में कुछ दवाएँ और इलाज से वे कुछ समय के लिये बेहतर भी हो गये थे मगर रात में एक बार फिर उनको गम्भीर दौरा पड़ा जो उनके लिये घातक सिद्ध हुआ।

लगभग आधे भारत की यात्रा करने के बाद राजीव भाई 26 नवंबर 2010 को उडीसा से छतीसगढ राज्य के एक शहर रायगढ पहुंचे। वहाँ उन्होने 2 जन सभाओ को आयोजित किया। इसके पश्चात अगले दिन 27 नवंबर 2010 को जंजगीर जिले मे दो विशाल जन सभाए की। इसी प्रकार 28 नवंबर बिलासपुर जिले मे व्याख्यान देने से पश्चात 29 नवंबर 2010 को छतीसगढ के दुर्ग जिले मे पहुंचे।

उनके साथ छतीसगढ के राज्य प्रभारी दया सागर और कुछ अन्य लोग साथ थे। दुर्ग जिले मे उनकी दो विशाल जन सभाए आयोजित थी! पहली जनसभा तहसील बेमतरा मे सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक थी। राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) ने विशाल जन सभा को आयोजित किया। इसके बाद का कार्यक्रम साय 4 बजे दुर्ग मे था ! जिसके लिए वह दोपहर 2 बजे बेमेतरा तहसील से रवाना हुए।

30 नवम्बर 2010 को दीक्षित को अचानक दिल का दौरा पड़ने के बाद पहले भिलाई के सरकारी अस्पताल ले जाया गया। उसके बाद अपोलो बी०एस०आर० अस्पताल में दाखिल कराया गया उन्हें दिल्ली  ले जाने की तैयारी की जा रही थी लेकिन इसी दौरान स्थानीय डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

डाक्टरों का कहना था कि उन्होंने ऍलोपैथिक इलाज से लगातार परहेज किया। चिकित्सकों का यह भी कहना था कि राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) होम्योपैथिक दवाओं के लिये अड़े हुए थे। अस्पताल में कुछ दवाएँ और इलाज से वे कुछ समय के लिये बेहतर भी हो गये थे मगर रात में एक बार फिर उनको गम्भीर दौरा पड़ा ! जो उनके लिये घातक सिद्ध हुआ। (इसके बात की घटना विश्वास योग्य नहीं है ! इसके बाद की सारी घटना उस समय उपस्थित छतीसगढ के प्रभारी दयासागर और कुछ अन्य साथियो द्वारा बताई गई है)

उन लोगो का कहना है गाडी मे बैठने के बाद उनका शरीर पसीना पसीना हो गया ! दयासागर ने राजीव जी से पूछा तो जवाब मिला की मुझे थोडी गैस सीने मे चढ गई है शोचलाय जाऊँ तो ठीक हो जाऊंगा ! फिर दयासागर तुरंत उनको दुर्ग के अपने आश्रम मे ले गए वहाँ राजीव भाई शोचालय गए और जब कुछ देर बाद बाहर नहीं आए तो दयासागर ने उनको आवाज दी !

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) ने दबी दबी आवाज मे कहा गाडी स्टार्ट करो मैं निकल रहा हूँ ! जब काफी देर बाद राजीव भाई बाहर नहीं आए तो दरवाजा खोला गया ! राजीव भाई पसीने से लथपत होकर नीचे गिरे हुए थे !

उनको बिस्तर पर लिटाया गया और पानी छिडका गया ! दयासागर ने उनको अस्पताल चलने को कहा ! राजीव भाई ने मना कर दिया उन्होने कहा होमियोपैथी डॉक्टर को दिखाएंगे ! थोडी देर बाद होमियोपैथी डॉक्टर आकर उनको दवाइयाँ दी ! फिर भी आराम ना आने पर उनको भिलाई से सेक्टर 9 मे इस्पात स्वयं अस्पताल मे भर्ती किया गया !

इस अस्पताल मे अच्छी सुविधाइए ना होने के कारण उनको ।चवससव ठैत् मे भर्ती करवाया गया ! राजीव भाई एलोपेथी चिकित्सा लेने से मना करते रहे ! उनका संकल्प इतना मजबूत था कि वो अस्पताल मे भर्ती नहीं होना चाहते थे ! उनका कहना था कि सारी जिंदगी एलोपेथी चिकित्सा नहीं ली तो अब कैसे ले लू ? ऐसा कहा जाता है कि इसी समय बाबा रामदेव ने उनसे फोन पर बात की और उनको आईसीयु मे भर्ती होने को कहा !

फिर राजीव भाई 5 डॉक्टरों की टीम के निरीक्षण मे आईसीयु भर्ती करवाएगे ! उनकी अवस्था और भी गंभीर होती गई और रात्रि एक से दो के बीच डॉक्टरों ने उन्हे मृत घोषित किया !

(बेमेतरा तहसील से रवाना होने के बाद की ये सारी घटना राज्य प्रभारी दयासागर और अन्य अधिकारियों द्वारा बताई गई है अब ये कितनी सच है या झूठ ये तो उनके नार्को टेस्ट करने ही पता चलेगा !)

क्योकि राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) की मृत्यु का कारण दिल का दौरा बता कर सब तरफ प्रचारित किया गया ! 30 नवंबर को उनके मृत शरीर को पतंजलि लाया गया ! जहां हजारो की संख्या मे लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे ! और 1 दिसंबर राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) का दाह संस्कार कनखल हरिद्वार मे किया गया !

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) की मौत लगभग भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत से मिलती जुलती है ! आप सबको याद होगा ताशकंद से जब शास्त्री जी का मृत शरीर लाया गया था तो उनके भी चेहरे का रंग नीला, काला पड गया था ! और अन्य लोगो की तरह राजीव भाई भी ये मानते थे कि शास्त्री जी को विष दिया गया था ! राजीव भाई और शास्त्री जी की मृत्यु मे एक जो समानता है कि दोनों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था !

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) की मृत्यु से जुडे कुछ सवाल –

किसके आदेश पर ये प्रचारित किया गया कि राजीव भाई की मृत्यु दिल का दौरा पडने से हुयी है ?
29 नवंबर दोपहर 2 बजे बेमेतरा से निकलने के पश्चात जब उनको गैस की समस्या हुए और रात 2 बजे जब उनको मृत घोषित किया गया इसके बीच मे पूरे 12 घंटे का समय था 12 घंटे मे मात्र एक गैस की समस्या का समाधान नहीं हो पाया ?

आखिर पोस्ट मार्टम करवाने मे क्या तकलीफ थी ?

राजीव भाई का फोन जो हमेशा आन रहता था उस 2 बजे बाद बंद क्यों था ?

राजीव भाई के पास एक थैला रहता था जिसमे वो हमेशा आयुर्वेदिक, होमियोपैथी दवाएं रखते थे वो थैला खाली क्यों था ?

30 नवंबर को जब उनको पतंजलि योगपीठ मे अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था ! उनके मुंह और नाक से क्या टपक रहा था ! उनके सिर को माथे से लेकर पीछे तक काले रंग के पालिथीन से क्यूँ ढका था ?

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji)की अंतिम विडियो जो आस्था चैनल पर दिखाई गई तो उसको एडिट कर चेहरे का रंग सफेद कर क्यों दिखाया गया ? अगर किसी के मन को चोर नहीं था तो विडियो एडिट करने की क्या जरूरत थी ?

अंत पोस्टमार्टम ना होने के कारण उनकी मृत्यु आजतक एक रहस्य ही बन कर रह गई !

राजीव भाई के कई समर्थक उनके जाने के बाद बाबा रामदेव से काफी खफा है ! क्योंकि बाबा रामदेव अपने एक व्याख्यान मे कहा कि राजीव भाई को हार्ट ब्लोकेज था, शुगर की समस्या थी, बी.पी. भी था !

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) पतंजलि योगपीठ की बनी दवा मधुनाशनी खाते थे ! जबकि राजीव भाई खुद अपने एक व्याख्यान मे बता रहे हैं कि उनका शुगर, बीपी, कोलेस्ट्रोल सब नार्मल है ! वे पिछले 20 साल से डॉक्टर के पास नहीं गए और अगले 15 साल तक जाने की संभावना नहीं ! और राजीव भाई के चाहने वालो का कहना है कि हम कुछ देर के लिए राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) की मृत्यु पर प्रश्न नहीं उठाते !

लेकिन हमको एक बात समझ नहीं आती कि पतंजलि योगपीठ वालों ने राजीव भाई की मृत्यु के बाद उनको तिरस्कृत करना क्यों शुरू कर दिया ? मंचो के पीछे उनकी फोटो क्यों नहीं लगाई जाती ? आस्था चैनल पर उनके व्याख्यान दिखने क्यों बंद कर दिये गए ? कभी साल अगर उनकी पुण्यतिथि पर व्याख्यान दिखाये भी जाते है तो वो भी 2-3 घंटे के व्याख्यान को काट काट कर एक घंटे का बनाकर दिखा दिया जाता है !

इसके अतिरिक्त उनके कुछ समर्थक कहते हैं कि भारत स्वाभिमान आंदोलन की स्थापना जिस उदेश्य के लिए हुए थी, राजीव भाई की मृत्यु के बाबा रामदेव उस राह हट क्यों गए? राजीव भाई और बाबा खुद कहते थे कि सब राजनीतिक पार्टियां एक जैसी है ! हम 2014 मे अच्छे लोगो को आगे लाकर एक नया राजनीतिक विकल्प देंगे !

लेकिन राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) की मृत्यु के बाद बाबा रामदेव ने भारत स्वाभिमान के आंदोलन की दिशा बदल दी और राजीव की सोच के विरुद्ध आज वो भाजपा सरकार का समर्थन कर रहें ! इसलिए बहुत से राजीव भाई के चाहने वाले भारत स्वाभिमान से हट कर अपने अपने स्तर पर राजीव भाई का प्रचार करने मे लगे हैं !

राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) ने अपने पूरे जीवन मे देश भर मे घूम घूम कर 5000 से ज्यादा व्याख्यान दिये !सन 2005 तक वह भारत के पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण चार बार भ्रमण कर चुके थे ! उन्होने विदेशी कंपनियो की नाक मे दम कर रखा था !

भारत के किसी भी मीडिया चैनल ने उनको दिखाने का साहस नहीं किया ! क्योकि वह देश से जुडे ऐसे मुद्दो पर बात करते थे की एक बार लोग सुन ले तो देश मे 1857 से बडी क्रांति हो जाती ! वह ऐसे ओजस्वी वक्ता थे जिनकी वाणी पर माँ सरस्वती साक्षात निवास करती थी।

जब वे बोलते थे तो स्रोता घण्टों मन्त्र-मुग्ध होकर उनको सुना करते थे ! 30 नवम्बर 1967 को जन्मे और 30 नवंबर 2010 को ही संसार छोडने वाले ज्ञान के महासागर श्री राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) आज केवल आवाज के रूप मे हम सबके बीच जिंदा है उनके जाने के बाद भी उनकी आवाज आज देश के लाखो करोडो लोगो का मार्गदर्शन कर रही है और भारत को भारत की मान्यताओं के आधार पर खडा करने आखिरी उम्मीद बनी हुई है !

  • क्या‌ आप देश में क्रांति लाना चाहते हैं ?
  • क्या आप सम्पुर्ण व्यवस्था परिवर्तन करना चाहते है ?
  • देश की सेवा करना चाहते है ?
  • देश को समृद्ध बनाना चाहते है ?

YouTube पर राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Ji) सर्च करे और उनके विचार और व्याख्यान सुने।

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