९०+ कपूर के फायदे | Camphor benefits
कपूर के फायदे | Camphor benefits:
कपूर एक बहोत हो गुणकारी और अत्यावश्यक समाग्री में से एक है। इसका इस्तेमाल हमारी हर रोग स्वस्थ्य और आध्यात्मिक कार्योमें किया जाता है। इस लेख हम जानने वाले है, की कैसे कपूर का उपयोग अपनी रोजमर्रा जिन्दगीमे आने वाले स्वास्थ्य और निरोगी रहने हेतु इस्तेमाल किया करते है।
कपूर | Camphor:
कपूर स्थान, बनावट और रंग के अनुसार अनेक प्रकार के होते हैं लेकिन यह भीमसेनी, चीनी और भारतीय कपूर के नाम से अधिका प्रचलित है। भीमसेन कपूर अच्छा होता है और इसका प्रयोग औषधि के रूप में प्राचीन काल से होता आ रहा है। यह चीनी कपूर से भारी होता है और पानी में डूब जाता है, जबकि चीनी कपूर पानी में नहीं डूबता। पिपरमेंट और अजवायन रस के साथ चीनी कपूर को मिलाने से यळ द्रव में बदल जाता है।
भारतीय कपूर(Indian Camphor) या भीमसेनी कपूर तुलसी के पौधे से प्राप्त की जाती है जो तुलसी कुल की ही एक जाति है। तुलसी की तरह ही इस पौधे की पत्तियों से तेज खुशबू आती है। इसकी पत्तियों से 61 से 80 प्रतिशत की मात्रा में कपूर मिलता है, जबकि बीजों से हल्के पीले रंग का तेल 12.5 प्रतिशत की मात्रा में निकलता है।
कपूर एक सदाबहार पेड़ है:
कपूर एक सदाबहार पेड़ है जो भारत के कई राज्यों में होते हैं और यह देहरादून के पर्वतीय क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं। इसके पेड़ भारत के अलावा चीन, जापान व बोर्नियो आदि देशों में भी होते हैं।
कपूर के पेड़ की ऊचाई 100 फुट और चौड़ाई 6 से 8 फुट तक हो सकती है। इसके तने की छाल ऊपर से खुरदरी व मटमैली होती है और अन्दर से चिकनी होती है। इसके पत्ते चिकने, एकान्तर, सुगंधित, हरे व हल्के पीले रंग के होते हैं।
इसके पत्ते 2 से 4 इंच लंबे होते हैं। इसके फूल गुच्छों में छोटे-छोटे सफेद पहले रंग के होते हैं। इसके फल पकने पर काले रंग के हो जाते हैं। बीज छोटे होते हैं।
पेड़ के सभी अंगों से कपूर की गंध आती रहती है। इसकी छाल को हल्का काटने से एक प्रकार का गोंद निकलता है जो सूखने के बाद कपूर कहलाता है।
आयुर्वेद के अनुसार:
कपूर मीठा व तिखा, कडुवा, लघु, शीतल होता है और इसका रस कडुवा होता है। कपूर स्वाद में कडुवा होने के कारण त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को नष्ट करने वाला होता है। कपूर प्यास को शांत करने वाला, पाचनशक्ति को बढ़ाने वाला, ज्वर दूर करने वाला, रुचि बढ़ाने वाला, हृदय उत्तेजक, पसीना लाने वाला, कफ निकालने वाला, दर्द को दूर करने वाला, वीर्य को बढ़ाने वाला, पेट के रोग को ठीक करने वाला एवं सूजन को मिटाने वाला होता है। यह कामोत्तेजना व गर्भाशय उत्तेजना को शांत करता है और पेट के कीड़े व कमर दर्द को दूर करता है।
फोडे़-फुंसी, नकसीर, कीड़े होना, क्षय (टी.बी.), पुराना बुखार, दस्त रोग, हैजा, दमा, गठिया, जोडों का दर्द, टेटेनस, कुकुर खांसी एवं फेफड़ों के रोग आदि में कपूर का प्रयोग करना लाभकारी होता है। दिल की धडकन बढ़ जाने पर इसके प्रयोग करने से धड़कन की गति सामान्य होती है।
वैज्ञानिक मतानुसार:
कपूर एक प्रकार का जमा हुआ तेल है जो सफेद, पारदर्शक, स्फटिक, क्रिस्टल दाने एवं भुरभुरे टुकडों में प्राप्त होता है। इसमें एक प्रकार की सुगंध होती है। इसे मुंह में रखने से एक प्रकार का सुगंध अनुभव होता है जो बाद में ठंडक पहुंचाती है। यह जल में कम और अलकोहल व वनस्पतिक तेलों में अधिक घुलन शील होता है। कपूर अधिक ज्वलशील व उड़नशील होता है और आसानी से जल्दी जलता है। कपूर का रासायनिक सूत्र C10 H16O है।
कपूर का सेवन अधिक मात्रा में करने से शरीर पर विषैला प्रभाव पड़ता है जिसके कारण पेट दर्द, उल्टी, प्रलाप, भ्रम, पक्षाघात (लकवा), पेशाब में रुकावट, अंगों का सुन्न होना, पागलपन, बेहोशी, आंखों से कम दिखाई देना, शरीर का नीला होना, चेहरे का सूज जाना, दस्त रोग, नपुंसकता, तन्द्रा, दुर्बलता, खून की कमी आदि लक्षण उत्पन्न होता है।
कपूर को लगभग 1 ग्राम के चौथाई भाग की मात्रा में प्रयोग करना लाभकारी होता है।
विभिन्न रोगों में उपयोग:-
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अन्य रोग में कपूर का प्रयोग:-
कपूर को उससे चार गुना नारियल या शुद्ध तिल के तेल में पिघलाकर तेल तैयार कर लें। इस तेल का प्रयोग संधिवात (गठिया) का दर्द, जोड़ों की सूजन, शरीर की गांठ, जख्म व दर्द आदि को दूर करने के लिए किया जाता है।