अमृतधारा (Amritdhara) कैसे बनती है?
अमृतधारा – Amritdhara
अमृतधारा (Amritdhara) यह एक ऐसी दिव्य औषधि है जो हर घर मे अवश्य होनी चाहिये। जो बच्चे से लेकर बूढ़े तक काम आती है। उसका विवरण मैं देखकर आप सबको देता हूं क्यो की लिखनेमे बहोत वक्त लगेगा। अभी इतना बताता हूं कि अमृतधारा (Amritdhara) कैसे बनती है।
1) पुदिना सत्व 50 ग्राम
2) अजवायन सत्व 50 ग्राम
3) भीमसेनी कापुर। 50 ग्राम
यह तीन चीजे आप पंसारी (जड़ी बूटी वाला दुकानदार ) से अलग अलग लाये।
किसी कांच की बड़े मूव्ह वाली लेकर उसमे ये तीनो एकत्र डाल दीजिये।
कुछ देर में ही उसका पानी जैसा बन जायेगा और यही है अमृतधारा (Amritdhara)।
इसे 1 ग्लास पानी मे सिर्फ 4 बूंद डालना है।
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अमृतधारा के उपयोग – Uses of Amritdhara
- बदहजमी
- हैजा – 1 चम्मच प्याज के रास में 2 बूंद
- सिरदर्द 2 – 3 बूंद कपाल और कान के आसपास मालिये।
- छाती दर्द, दांत दर्द, जुकाम, मुँह के छाले, खांसी, पेट दर्द, कमजोरी, हिचकी, खुजली, अदि पर उपयोग होता है। परन्तु चिकित्सक की जानकारी बिना नही।
अमृतधारा क्या है ? – What is Amritdhara?
अमृतधारा (Amritdhara) आयुर्वेद की एक बहुत ही जानी – मानी औषधि है जो कई बीमारियों को आसानी से उपचार कर देती है। बदलते मौसम, गर्मी की तपन, लु, धूल भरी हवाओं, खान – पान में गड़बड़ी के कारण सिरदर्द, उल्टी, अपच, हैजा, दस्त, बुखार, शरीर में दर्द, अजीर्ण जैसे रोग घेर लेते हैं।
ऐसे में आयुर्वेदिक औषधि अमृतधारा(Amritdhara) इन रोगों में रामबाण की तरह सहायक हो सकती है। इस दवा की दो – चार बूढे एक कप सादे पानी में डालकर पीने मात्र से ही तुरन्त लाभ मिलता है। सिरदर्द हो , जहरीला ततैया काट ले तो इसे लगाते मात्र से ठीक हो जाता है। गले के दर्द व सूजन में गरारे करने पर तुरंत लाभ मिलता है। यह दवा पूरे परिवार के लिए लाभदायक है क्योंकि यह पूर्ण प्राकृतिक हैं।
अमृतधारा बनाने की विधि : How to Make Amritdhara
तीनो को बराबर मात्रा में मिलाने से औषधि बन जाती है। ये तीनों किसी भी आयुर्वेद की दुकान से उपलब्ध हो सकते हैं। एक काँच की शीशी में तीनों को सम मात्रा में मिलाकर ठण्डे स्थान पर रखें । प्लास्टिक की शीशी में इसे कदापि न रखें।
दूसरी विधि : + 50 ग्राम पिपरमेंट 50 ग्राम अजवाइन पाउडर + 50 ग्राम लाल इलाइची + 50 ग्राम देशी कपूर 20 मिली लीटर लौंग का तेल 20 मिली लीटर दालचीनी का तेल सारी समाग्री को मिलाकर शीशी में रखें।
अमृतधारा सेवन विधि : अमृतधारा की दो तीन बून्द बडे कप पानी में डालकर योग करें ।
अमृतधारा के फायदे : Benefits of Amritdhara
अमृतधारा कई बीमारियों में दी जाती हैं , जैसे बदहजमी , हैजा और सिर – दर्द ।
1. बदहजमी – थोड़े से पानीमें तीन – चार बूंद अमृतधारा की डालकर पिलाने से बदहजमी , पेटदर्द , दस्त , उलटी ठीक हो जाती है । चक्कर आने भी ठीक हो जाते हैं ।
2. हैजा – एक चम्मच प्याजके रसमें दो बूंद अमृतधारा डालकर पीने से हैजा में फायदा होता है
3. सिर दर्द – अमृतधाराकी दो बूंद ललाट और कान के आस – पास मसलने से सिर दर्द को फायदा होता है
5. छाती का दर्द – मीठे तेल में अमृतधारा मिलाकर छाती पर मालिश करने से छातीका दर्द ठीक हो जाता
6. जुकाम – इसे सूंघने से सांस खुलकर आता है तथा जुकाम ठीक हो जाता है ।
7. मुह के छाले – थोडे से पानीमें एक – दो बूद अमृतधारा डालकर छालों पर लगानेसे फायदा होता है ।
8. दांत दर्द – अमृतधारा की 2 बून्द रुई के सहारे रखने से दन्त शूल नस्ट होता है
9. खाँसी-दमा-क्षयरोग – 4 5 बून्द गुनगुने पानी में सुबह शाम पीने से नस्ट होता है
10. हृदय रोग – आंवले के मुरब्बे पर 2 3 बून्द डालकर खाने से
11. पेट दर्द – बताशे पर 2 बून्द अमृतधारा डालकर खाने से उदर शूल नस्ट होता है
12. मन्दाग्नि – भोजन के बाद 2 3 बून्द सादे पानी में मिलाकर पीने से मन्दाग्नि दूर होती है
13. कमजोरी – 10 ग्राम देशी गाय के मख्खन 5 ग्राम शहद व 2 3 बून्द अमृतधारा सुबह शाम सेवन से कमजोरी दूर होती है
14. हिचकी – 2 3 बून्द सीधे जीभ पर लेने के बाद आधे घण्टे तक कुछ भी सेवन न करने से हिचकी नस्ट हो जाती है
15. खुजली – 10 ग्राम निम तेल में 5 बून्द अमृतधारा मिलाकर लगाने से खुजली नस्ट हो जाती है
16. मधुमक्खी के काटने पर – ततैया , बिच्छू, भंवरा या मधुमक्खी के काटने की जगहपर अमृतधारा मसलने से दर्द में राहत मिलती हैं ।
17. बिवाई – दस ग्राम वैसलीनमें चार बूंद अमृतधार मिलाकर , शरीर के हर तरह दर्दपर मालिश करने दर्द में फायदा होता है । फटी बिवाई और फटे होंठों पर लगानेसे दर्द ठीक हो जाता है तथा फटी चमडी जुड़ जाती है ।
18. यकृत की वृद्धि – अमृतधारा को सरसों के चौगुने तेल में मिलाकर जिगर – तिल्ली पर मालिश करने से यकृत की वृद्धि दूर होती है ।
अमृतधारा के नुकसान ( दुष्प्रभाव ) : Disadvantages of Amritadhara
अधिक मात्रा में लेने पर दस्त का कारण बन सकता है। कुछ लोगों को इसके उपयोग के कारण चक्कर आ सकते है। सावधानियां पयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह आवश्यक है।